Osho Quotes In Hindi – ओशो जी का जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्यप्रदेश में हुआ। उनका प्रारंभिक नाम चंद्र मोहन जैन था, प्यार से लोग उन्हें राजा बाबू बुलाया करते थे। ओशो जी एक भारतीय विचारक धर्मगुरु थे। जिन्होंने अपने विचारों के माध्यम से बड़ी ही कमाल – कमाक की बातें बताई है। जिन पर हमें गौर करना चाहिए उन्हें समझना चाहिए। तभी मानवता का असली मुल्य हमें समझ आएगा। बचपन से ही ओशो जी विद्रोही बुध्दी के व्यक्ति थे। किसी भी कार्य को करने से पहले वह उस कार्य की चेतना में खो जाते थे। जब भी वे नदी में नहाने जाते तो कोई नहीं बता सकता था कि वह नदी से बाहर कब निकलेंगे।
ओशो द्वारा बोली गई कुछ प्रेरणादायक पंक्तियां – एक सवाल कई लोगों के मन में आता है। प्रकृति में सबकुछ निष्प्रयोजन है, निरुद्देश्य है, तो हमारे जीवन में क्यों उद्देश्य होना चाहिए? अगर हम ‘सब उद्देश्य’ छोड़ दें तो इससे बड़ा कोई उद्देश्य नहीं हो सकता। अगर प्रकृति जैसे हो सकें तो सब हो गया। लेकिन इंसान अप्राकृतिक हो गए हैं, इसलिए वापस लौटने के लिए उद्देश्य बनाना पड़ता है। अभी हमने इतना पकड़ लिया है कि छोड़ना भी एक उद्देश्य ही होगा। हमें छोड़ने में भी मेहनत करनी पड़ेगी। प्रकृति निरुद्धेश्य है। ये गूढ बात है। कारण यह है कि जो है, उसके बाहर प्रकृति का कोई उधेश्य नहीं है।
जैसे एक फूल खिला है। वह किसी के लिए नहीं खिला है। फूल बस खिला है, क्योंकि खिलना आनंद है; खिलना ही खिलने का उद्देश्य है। इसलिए ऐसा भी कह सकते हैं कि फूल निरुद्देश्य खिला है। और जब कोई निरुद्देश्य खिलेगा तभी पूरा खिल सकता है। फूल इसीलिए पूरा खिल पाता है कि उद्देश्य नहीं है। ठीक ऐसा ही आदमी भी होना चाहिए। लेकिन आदमी के साथ कठिनाई यह है कि वह असहज हो गया है। उसे सहज तक लौटना है। और यह लौटना फिर एक उद्देश्य ही होगा। मैं जब उद्देश्य की बात करता हूं तो वह उसी अर्थं में जैसे पैर में कांटा लग गया हो, और दूसरे काँटे से उसे निकालना पड़े।
कोई कहे कि मुझे कांटा लगा ही नहीं है तो मैं क्यों निकालूं ? उससे मैं कहुंगा, निकालने का सवाल ही नहीं है, तुम पूछने ही क्यों आए हो? कांटा नहीं लगा है, तब बात ही नहीं है। लेकिन अगर लगा है, तो फिर दूसरे कांटे से निकालना पड़ेगा। हमने जो अप्राकृतिक जीवन बना लिया है, जब वह सहज हो जाए, तो अप्राकृतिक को भी फेंक देना और सहज को भी। आपने जो उद्देश्य पकड़ रखे हैं, कांटे लग रखे हैं, अब उन कांटों को कांटों से ही निकालना पड़ेगा।
Osho Quotes In Hindi
1. एक भीड़, एक राष्ट्र ,एक धर्म,
एक जाति का नहीं पूरे अस्तित्व का
हिस्सा बने अपने को छोटी चीजों के
लिए क्यों सीमित करना जब सब संपूर्ण उपलब्ध है।
2. तनाव का अर्थ है कि
आप कुछ और होना चाहते हैं
जो कि आप नहीं है।
3. अपने मन में जाओ
अपने मन का विश्लेषण करो
कहीं ना कहीं तुमने खुद को धोखा दिया है।
4. खुद में जीवन का कोई अर्थ नहीं
जीवन अर्थ बनाने का अवसर है।
5. अगर आप सही में सच देखना चाहते हैं
तो आप ना सहमति और ना असहमति में राय रखिए।
6. मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है
बल्कि जब वह तैयार होता है
तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते हैं।
7. आपको किसी से किसी भी प्रकार की
प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है
आप स्वयं जैसे हैं बिल्कुल सही है
बस खुद को स्वीकार करना रखिए।
8. जीवन क्या है कुछ नहीं ठहराव
और गति के बीच का संतुलन।
9. सारी शिक्षा व्यर्थ है
सारे उपदेश व्यर्थ हैं
अगर वह तुम्हें अपने भीतर
डूबने की कला नहीं सिखाते।
10. प्रेम तब खुश होता है
जब वह कुछ दे पाता है
अहंकार तब खुश होता है
जब वह कुछ ले पाता है।
11. प्यार एक पक्षी है जिसे
आजाद रहना पसंद है
जिसे पढ़ने के लिए पूरे
आकाश की जरूरत होती है।
12. अगर आप तुलना करना छोड़ दे
तो निश्चित रूप से जिंदगी बहुत खूबसूरत है।
13. जिंदगी अपने आप में ही
बहुत खूबसूरत है इसलिए जीवन के
महत्व को पूछना ही सबसे बड़ी मूर्खता होगी।
14. मनुष्य का हमेशा डर के
माध्यम से शोषण किया जाता है।
15. कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले।
चाहे वह पूरे जगत को जान ले
लेकिन अगर वह स्वयं को
नहीं जानता तो वह अज्ञानी है।
16. कभी ये मत पूछ -मेरा सच्चा दोस्त कौन है?
पूछो -क्या मैं किसी का सच्चा दोस्त हूँ?
ये सही प्रश्न है।
17. सवाल ये नहीं है कि
कितना सीखा जा सकता
इसके उलट सवाल ये है कि
कितना भुलाया जा सकता है।
18. सत्य को हम जानना चाहते हैं
लेकिन जीना नहीं चाहते
क्यूंकि जानना आसान है,जीना मुश्किल।
19. सवाल यह नहीं है कि
मृत्यु के बाद जीवन मोजूद है या नहीं
असली सवाल यह है कि
आप मौत से पहले जीवित हैं या नहीं।
20. ये मायने नहीं रखता कि
आप गुलाब है, कमल हैं या मेरीगौल्ड
मायने ये रखता है कि आप कुसुमित हो रहें हैं।
21. एक गंभीर व्यक्ति कभी
मासूम नहीं हो सकता और
जो मासूम है वो कभी गंभीर नहीं हो सकता।
22. सत्य को स्वयं जानोगे तो ही ,
केवल तो ही संतोष की वीणा
तुम्हारे भीतर बजेगी
मेरा जाना हुआ सत्य तुम्हारे किसी काम का नहीं।
23. प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर
यही सोचता रहता है कि
वह सही है और बाकी सब गलत हैं।
24. अंधे को आँख दे दो
इसमें कुछ बड़ा राज़ नहीं है।
असली रहस्य की बात है
आँख वाले को देखने की कला देना।
25. खुशी देना ही खुशी पाने का बड़ा सार है।
26. मनुष्य की भाषा में प्रेम से बड़ा
कोई शब्द नहीं उस एक शब्द को
जिसने जान लिया उसने सब जान लिया।
27. प्रेम और मृत्यु मे ये समानता है
न ये उम्र देखती है ,न ये समय देखती है
और न ये जगह देखती है।
28. जवाब तो हर बात का दिया जा सकता है।
मगर जो रिश्तों की एहमियत ना समझ पाया
वो शब्दों को क्या समझेंगे।
29. खुद के बारे में न किसी पीर से पूछो
न किसी फकीर से पूछो।
बस कुछ देर आखे बंद कर
अपने जमीर से पूछो।
30. दुख पर ध्यान दोगे तो हमेशा दुःखी रहोगे।
सूख पर ध्यान देना शरू करो
दरअसल तुम जिस पर ध्यान देते हो
वह चीज सक्रिय हो जाती है।
31. जो कल हो चुका,
उससे सीखें और पार जाएं, दुहरायें नहीं।
जहाँ से गूजर गए वहां से
गूजर ही जाएँ, उसको पकड़े नहीं।
32. जो भी किया जा सकता है
उसी वक्त किया जा सकता है।
जिसे आप कल पर छोड़ रहे हैं,
जान लें, आप करना नहीं चाहते हैं।
33. मै आपको कहीं और ध्यान ले जाने को
नहीं कह रहा हूं, आप जो कर रहे हैं
उसको ही ध्यान बना लें।
इससे आपके किसी काम मे बाधा नहीं पड़ेगी,
बल्कि सहयोग बनेगा।
34. अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं।
चूंकि आप लगातर अर्थ जानने में लगे रहते
इसलिए आप अर्थहीन मसूस करने लगते हैं।
हम आशा करते हैं कि ओशो के सुप्रसिद्ध सुविचार आपको पसंद आए होंगें। दोस्तो कृपा कमेंट के माध्यम से जरूर बताइगा की कोट्स आपको कैसे लगे ?
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