Hindi Diwas Speech
यहां मौजूद सभी जन को मेरा सादर प्रणाम,
माननीय मुख्य अतिथि, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षक गण महोदय और यहां विराजमान मेरे सभी साथियों का मैं तहे दिल से आभार प्रकट करता हूं कि आप सभी इस शुभ घड़ी पर मेरा भाषण सुनने आए और इस 14 सितंबर के पावन अवसर पर मुझे हिंदी दिवस पर भाषण देने का सुनहरा अवसर प्रदान किया। हिंदी दिवस पर अपने भाषण की शुरुआत मैं कमलापति त्रिपाठी जी द्वारा कही गई एक विशेष पंक्ति के साथ शुरू करना चाहूंगा –
“हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है”
हमारा भारत देश अनेकता में एकता वाला देश माना जाता है क्योंकि यहां विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं जिस कारण यहां सबकि अलग-अलग भाषाएं एंव अलग-अलग त्यौंहार है। यहां कई लोग ईद बनाते हैं तो कई लोग दिवाली, कई लोग क्रिसमस बनाते हैं तो कई लोग गुरु पूर्व। यहां सबके अपने अपने रीति-रिवाज है।
लेकिन इनके अलावा एक ऐसा त्यौंहार है जिसे हर भारतीय एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर प्रतिवर्ष बनाते है, वह है हिंदी दिवस। साल 1918 के हिंदी साहित्य सम्मेलन में गांधी जी ने हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का मुद्दा उठाया था लेकिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को राज्य भाषा घोषित किया गया। तब से यही रीत चलती आ रही है कि प्रतिवर्ष 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
हिंदी भाषा को आधिकारिक रूप से देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राज्य भाषा का दर्जा दिया गया। गांधी जी ने एक कथन में हिंदी को जनमानस की भाषा भी बताया है। संविधान के भाग 17 और धारा 343 (1) में हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। भारत में सबसे अधिक बोले जाने वाली मूल भाषा हिंदी है। जिसका हम भारतीय हिंदी दिवस के जरिए प्रचार एवं प्रसार करते हैं। समय के साथ – साथ मातृभाषा हिंदी बोलने वाले लोगों का प्रतिशत भी बढ़ा। जहां वर्ष 2001 में 43.03% लोग हिंदी बोलते थे, वही 2011 में इसका प्रतिशत बढ़कर 43.63 हो गया। समय के साथ- साथ हिंदी प्रेमी भी बढ़ते जा रहे हैं।
हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का हम सबके लिए बहुत महत्व है। हिंदी केवल हमारी राजभाषा ही नहीं बल्कि हर भारतीय की पहचान भी है। आज के आधुनिक युग में अंग्रेजी भाषा सीखना बहुत जरूरी हो गया समय के साथ-साथ इसकी लोकप्रियता और महत्वता बढ़ती ही जा रही है लेकिन हर एक भारतीय को अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि यह हमारे देश की संस्कृति और मूल्यों का निचोड़ है जो हर एक भारतीय के जहन में बसना चाहिए।
हिंदी दुनिया की प्राचीन और प्रसिद्ध भाषाओं में से एक है। अपनी सरलता और सहजता के कारण हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाती है लोगों को इसे बोलने और समझने में अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। इसीलिए भारतीय लोगों को एकजुट करने में हिंदी भाषा का विशेष योगदान है।
आज हम किसी से बातचीत के दौरान कई अंग्रेजी भाषाई शब्दों का प्रयोग करते हैं। जिसके कारण हिंदी भाषा के कई शब्दों का खंडन हो रहा है और उन्हें प्रचलन से हटाया जा रहा है। हमें ऐसा करने से स्वयं को रोकना चाहिए। एक सच्चे देशभक्त के लिए हिंदी एक महत्वपूर्ण भाषा है ऐसे लोग अपनी मातृभाषा के साथ-साथ भारतीय रीति-रिवाजों, संस्कृति और भारतीय पहनावे पर भी अपना ध्यान देते हैं। वे इस बात को बखूबी जानते हैं कि दूसरी पश्चिम भाषाओं की तरह हिंदी भी दुनिया की एक महत्वपूर्ण और समृद्ध भाषाओं में से एक है।
अंग्रेजों के समय आजादी की लड़ाई लड़ते हुए “हिंदी है हम” का नारा लोगों में काफी लोकप्रिय हुआ था जो अंग्रेजी शासन के खिलाफ लोगों को आजादी पाने के लिए प्रेरणा देता था। उस वक्त गुलामी की जंजीरों में बंधे हुए लोगों ने हिंदी है हम के नारे द्वारा हिंदी भाषा का पूरे जोर-शोर से जनमानस में प्रचार-प्रसार किया।
अत: हर भारतीय का यह कर्तव्य बनता है कि अपनी भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए हिंदी भाषा को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार विश्व का हर देश अपनी राष्ट्रीय भाषा को प्राथमिकता देता है, ठीक उसी प्रकार हमें भी अपनी राष्ट्रीय भाषा को महत्व देना चाहिए। आज हम पश्चिमी भाषाओं को सीखने की दौड़ में लगे हैं जोकि ज्ञान का विस्तार करने के लिए जरूरी है। लेकिन हमें हिंदी भाषा के संचार पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि दूसरे लोग भी हमारी तरह हिंदी भाषा बोलने में सम्मान महसूस कर सके।
।। धन्यवाद ।।
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