APJ Abdul Kalam Biography In Hindi – यह तो हम सब जानते हैं की डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसी महान शख्सियत थे जिन्हें आज ही भूल पाना लगभग असंभव है। उनकी योग्यता ने विश्व के समक्ष प्रर्दशित कर दिया था कि ऐसी हस्ती सदी में एक बार ही जन्म लेती है। वह बचपन से ही कार्यशील, भावनात्मक और नई – नई चीजों को सीखने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति रहे है। कलाम साहब के संघर्ष आज की युवा पीढ़ी को काफी प्रेरित करते हैं, जो युवाओं के लिए एक बड़ी सीख साबित होते है। उनके संघर्ष हमें बताते हैं कि इंसान धरती पर जन्म लेकर ही आसमान के लिए उड़ान भरता है।
कलाम साहब का बचपन बेहद गरीब स्थिति में गुजरा। फिर भी उन्होंने अखबार बेचने से लेकर राष्ट्रपति और मिसाइल मैन तक का अपना कठिन सफर तय किया और अपनी जिंदगी के इस कढ़े संघर्ष में कामयाब भी रहे। सफलताओं के इस दौर में कलाम साहब के पास अब दौलत शौहरत की कोई कमी नहीं थी लेकिन फिर भी उन्होंने अपना सारा जीवन सादगी और सरलता से ही व्यतीत किया।
राष्ट्रपति भवन में कलाम साहब के लिए सभी आरामदायक चीजें उपलब्ध थी लेकिन उन्होंने कभी भी उनका उपयोग खुद के लिए नहीं किया। उनका ध्यान केवल और केवल देश की उन्नति में ही लगा रहता था। आज 21वी सदी में भारत तकनीकि मामले में जहां कहीं भी पहुंचा है। वह केवल और केवल उनके ही योगदान के कारण हुआ है।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एपीजे अब्दुल कलाम कि जीवन की वे सारी बातें बताएंगे जिन्हें आप जानना चाहते हैं, जिसके लिए आप यहां आए है, तो कृपा आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें –
डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी । APJ Abdul Kalam Biography In Hindi
वास्तविक नाम | अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम |
जन्म | 15 अक्टूबर 1931 |
जन्म स्थान | तमिलनाडु, रामेश्वर |
पिता का नाम | जैनुलअबिदीन |
माता का नाम | अशिअम्मा |
विवाह | अविवाहित |
शैक्षणिक योग्यता | 1954 में, मद्रास विश्वविद्यालय से एफिलिएटेड सेंट जोसेफ कॉलेज से फिजिक्स से ग्रेजुएशन |
मृत्यु | 27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय, भारत |
ए.पी.जे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन – APJ Abdul Kalam Personal Life Details
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम है। एक मुस्लिम परिवार में जन्मे कलाम साहब का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वर में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था, जो कि पेशे से एक नाविक और मस्जिद के इमाम थे। इनकी माता अशिअम्मा, एक गृहणी थी।
इसके अलावा इनके घर में चार बहन – भाई ओर थे, जिनमें कलाम साहब सबसे छोटे थे। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें बचपन से ही काम करना पड़ा। अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए उन्होंने अखबार बांटने का काम शुरू किया। अब्दुल कलाम हमेशा परिवारवाद में विश्वास रखते थे और अपने परिवार का हर छोटी-बड़ी परिस्थिति में सहयोग करते थे। हालांकि वे खुद जिंदगी भर कुंवारे रहे।

ए.पी.जे अब्दुल कलाम की शिक्षा – A.P.J. Abdul Kalam’s Education
अपने स्कूल के शुरुआती दिनों में कलाम साहब एक सामान्य विद्यार्थी थे, लेकिन नई चीजें सीखने के लिए वे हमेशा तैयार रहते थे और अपना अधिकतर ध्यान किसी भी नई चीज की परिस्थिति को समझने में लगाते थे। उन्होंने अपने स्कूल की शुरुआती शिक्षा रामनाथपुरम श्वार्ट्ज मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की। स्कूली शिक्षा संपूर्ण करने के बाद उनका एडमिशन तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में हुआ, जहां से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। और फिर सन् 1960 में उन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
कलाम साहब को सीखने और पढ़ने की भूख इस कदर थी कि वह अपने खाली समय को बर्बाद न करते हुए, अपने भाई के दोस्त से किताबें उधार लेकर पढ़ा करते थे। जिस पर कलाम साहब का एक मशहुर कथन भी है –
एक अच्छी किताब, 100 अच्छे दोस्तों के बराबर है; लेकिन एक अच्छा दोस्त एक लाईब्रेरी के बराबर है।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम कैरियर – APJ Abdul Kalam Career
घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें बचपन से ही काम करना पड़ा। अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए उन्होंने स्कूल के बाद अखबार बांटने का काम शुरू किया। एक तरफ थे घर के आर्थिक हालात और दूसरी तरफ था उनके पढ़ने का शौक जो कि दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था, लेकिन फिर भी उन्होंने इस कड़े संघर्ष में हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी।
आखिर एक दिन वह पल आ ही गया जो उनकी जिंदगी में उजाला लेकर आया। मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें वैज्ञानिक के रूप में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( DRDO) में शामिल होने का अवसर मिला। जिसमें कलाम साहब ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटा हेलीकॉप्टर डिजाइन करके की। बाद में उन्हें नेहरू जी द्वारा बनाई गई भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान में सदस्य दी गई। जिसके दौरान उन्हें अंतरिक्ष के मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ काम करने का मौका मिला।
साल 1969 में उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO में भेज दिया गया। जहां उन्होंने परियोजना निदेशक के रूप में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने प्रथम उपग्रह प्रक्षेपण यान (Satellite Launch Vehicle – SLV III) तथा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle – PSLV) को बनाने में अपना विशेष योगदान दिया। जिनका परीक्षण बाद में सफल भी रहा। ISRO में शामिल होना कलाम साहब के कैरियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
साल 1980 में कलाम साहब को आधुनिक मिसाइल प्रोग्राम के निर्देशन के लिए भारत सरकार द्वारा वापिस ( DRDO) भेजा गया। उसके पश्चात एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program – IGMDP) को भी कलाम साहब की निगरानी में शुरू किया गया।
साल 1963-64 में उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा की यात्रा की। राजा रामन्ना, परमाणु वैज्ञानिक जिनकी निगरानी में भारत ने पहली बार परमाणु परीक्षण किया। उन्होंने कलाम साहब को 1974 पोखरण में परमाणु परीक्षण देखने के लिए आमंत्रित किया था। कलाम साहब के सहयोग से ही हम अग्नि मिसाइल और पृथ्वी जैसी मिसाइलों को बनाने में कामयाब हुए हैं इसीलिए आज डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध है।
साल 1992-1999 तक कलाम साहब भारतीय प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा विभाग और विकास संगठन ( DRDO) के सचिव थे। कलाम साहब की इन सफलताओं ने उन्हें मीडिया कवरेज में देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया। वर्ष 1998 में, डॉ कलाम ने हृदय चिकित्सक सोमा राजू के सहयोग से एक कम लागत वाला ‘कोरोनरी स्टेंट’ विकसित किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ नाम दिया गया था।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की मृत्यु – A.P.J. Abdul Kalam’s Death
27 जुलाई 2015 में कलाम साहब ने एक व्याख्यान देने के लिए शिलांग की यात्रा की और व्याख्यान देते-देते अचानक वे गिर पड़े। तुरंत उन्हें नाजुक हालत में पास के बेथानी हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन तब तक कलाम साहब की सांसे रूक चुकी थी। 27 जुलाई 2015 को शिलांग में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के पुरस्कार – A.P.J. Abdul Kalam Awards
1981 | पद्म भूषण |
1990 | पद्म विभूषण |
1997 | भारत रत्न |
1998 | वीर सावरकर पुरस्कार |
2007 | किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल |
2009 | हूवर मेडल |
2013 | वॉन ब्रौन पुरस्कार |